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रहिमन सो न कछु गनै जासों लागो नैन सहि के सोच बेसाहियेा गयो हाथ को चैन

फ्यूचर लाइन टाईम्स 



रहिमन सो न कछु गनै जासों लागो नैन
सहि के सोच बेसाहियेा गयो हाथ को चैन ।


अर्थ : जिसे कहीं प्रेम हो गया वह कहने समझाने बुझाने से भी नहीं मानने बाला है।
जैसे उसने प्रेम के बाजार में अपना सब सुख चैन बेचकर अपना दुख बियोग खरीदकर ले आया हो।


रीति प्रीति सबसों भली बैर न हित मित गोत
रहिमन याही जनम की बहुरि न संगति होत ।


अर्थ : सब लोगों से प्रेम का ब्यबहार करना अच्छा है।किसी से भी शत्रुता कीना किसी के लिये लाभकारी नही है।
पता नही इस जन्म के बाद मनुश्य के रूप में जन्म लेकर अच्छी संगति प्राप्त करना संभव होगा अथवा नही।



वहै प्रीति नहीं रीति वह नहीं पाछिलो हेत
घटत घटत रहिमन घटै ज्यों कर लीन्हैं रेत ।


अर्थ : प्रेम में छल अधिक दिनों तक नही चलता है।प्रेम धीरे धीरे घटता चला गया जैसे हाथ
में रखा बालू धीरे धीरे गिर जाता है।प्रेम के निर्वाह का तरीका कपट पर आधारित
नही होता है।


यह न रहीम सराहिए लेन देन की प्रीति
प्रानन बाजी राखिए हार होय कै जीति ।


अर्थ : रहीम उस प्रेम की सराहना मत करो जिसमें लेन देन का भाव हो।प्रेम कोई खरीद बिक्री की चीज नही है।
प्रेम में वीर की तरह प्राणों के न्यौछावर करने की बाजी लगानी पड़ती है-उसमें विजय हो या हार-उसकी परवाह नही करनी पड़ती है।


अंतर दाव लगी रहै धुआं न प्रगटै सोय
कै जिय जाने आपुनेा  जा सिर बीती होय ।


अर्थ : हृदय में प्रेम की अग्नि ज्वाला लगी हुई है लेकिन इसका धुआॅ भी दिखाई नही देती है
प्रेम करने वाले का हृदय हीं केवल इसे जान सकता है जिसके सिर पर यह बीत रही है।प्रेम में वियोग का दर्द केवल प्रेमी हीं जानता है।


 


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