फ्यूचर लाइन टाईम्स
खीरा के मुख काटि के मलियत लोन लगाय
रहिमन करूक मुखन को चहिय यही सजाय ।
अर्थ : खीरा के तिक्त स्वाद को दूर करने के लिये उसके मुॅह को काट कर उसे नमक के साथ रगड़ा जाता है ।
इसी तरह तीखा वचन बोलने बालेंां को भी यही सजा मिलनी चाहिये।कठोर वचन बोलने बालों का त्याग और नम्र बचन बाले लोगों का स्वागत
करना चाहिये।
अनुचित बचन न मानिये जदपि गुराइसु गाढि
है रहीम रघुनाथ ते सुजस भरत की बाढि ।
अर्थ : बहुत जोर जबर्दस्ती या दबाब के बाबजूद अनुचित बात मानकर कोइ्र्र काम न करें।
यदि आपका हृदय नही कहे या कोई बड़ा आदमी भी गलत कह
सकता है उसे कभी न माने
रहिमन ब्याह वियाधि है सकहुॅ तो जाहु बचाय
पायन बेडी पडत है ढोल बजाय बजाय ।
अर्थ : शादी ब्याह एक सामाजिक रोग है-संभव हो सके तो इससे बचना चाहिये।
यह एक तरह का पाॅव में बेड़ी है।बस घर परिवार का ढोल बजाते रहो।
रहिमन तीर की चोट ते चोट परे बचि जाय
नयन बान की चोट तैं चोट परे मरि जाय ।
अर्थ : रहीम कहते हैं कि तीर की चोट पड़ने पर कोई ब्यक्ति बच सकता है किंतु नयनों की मार से कोई नही बच सकता।
नयन वाण की चोट से मरना-समर्पण अवश्यंभावी है ।
रहिमन मन की भूल सेवा करत करील की
इनतें चाहत फूल जिन डारत पत्ता नही ं।ं
अर्थ : करील काॅटे बाला पौधा है।इसकी सेवा करना ब्यर्थ है।इसमें फूल और फल की इच्छा बेकार है।
इसके डाल पर तो पत्ते भी नही होते हैं।दुर्जन से सज्जनता की इच्छा करना बेकार
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