फ्यूचर लाइन टाईम्स
गजल
तू भी खुदा नहीं है, मैं भी नबी नहीं हूँ ।
अकबर भी तू नहीं है, मैं अजनबी नहीं हूँ ।।
जब मैं अजब नहीं हूँ, तू भी अजीब कैसे ।
तू भी असद नहीं है, मैं पहलबी नहीं हूँ ।।
तू भी अजाब सहता, मैं भी अटक से लड़ता ।
तू अश्किया नहीं है, मैं मतलबी नहीं हूँ ।।
तेरी अदा अजब है, मुझको अदीव समझो ।
इंसान हूँ मैं आकिल, यूं मजहबी नहीं हूँ ।।
ये आग वासना की, आंचल में मत लगाओ ।
इकवाल हूँ वतन का, केवल कवी नहीं हूँ ।।
हिन्दी अजीज मुझको, यह है अजीम आला ।
उर्दू "सरित" केदिल में है, मुलतबी नहीं हूँ ।।
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