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दुरदिन परे रहीम कहि भूलत सब पहिचानि सोच नहीं बित हानि को जो न होय हित हानि

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


तैं रहीम अब कौन है एती खैंचत बाय
खस कागद को पूतरा नमी माॅहि खुल जाय  ।


अर्थ : तुम कौन हो? झूठे घमंड में मत रहो।यह जीवन कागज का पुतला है जो तनिक पानी  पड़ने पर गल जायेगा।
यह जीवन हीं क्षणिक है।अभिमान त्याग दो।


जो रहीम पगतर परो रगरि नाक अरू सीस
निठुरा आगे रोयबो आॅसू गारिबो खीस   ।


अर्थ : यदि निश्ठुर हृदयहीन के चरणों पर तुम अपना नाक और सिर भी रगड़ोगे तब भी वह तुम पर दया नही करेगा।
उनके आगे अपना आॅसू बहाकर उसे बर्बाद मत करो।


जो रहीम पगतर परो रगरि नाक अरू सीस
निठुरा आगे रोयबो आॅसू गारिबो खीस   ।


अर्थ : यदि निश्ठुर हृदयहीन के चरणों पर तुम अपना नाक और सिर भी रगड़ोगे तब भी वह तुम पर दया नही करेगा।
उनके आगे अपना आॅसू बहाकर उसे बर्बाद मत करो।


दुरदिन परे रहीम कहि भूलत सब पहिचानि
सोच नहीं बित हानि को जो न होय हित हानि   ।


अर्थ : दुख दुर्दिन के समय अपने लोग भी पहचानने से भूल जाते हैं।
ऐसे समय में धन की हानि तो होती है-हमारे शुभचिंतक भी साथ छोड़ देते हैं।


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