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दिव्यांगता के रूप अनेक : राजेश बैरागी

 फ्यूचर लाइन टाईम्स 


अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर मथुरा में दिव्यांगो के लिए अनेक कार्यक्रम चला रहे गैर सरकारी संगठन एनजीओ 'कल्याणं करोति' के सम्मान समारोह में शामिल होने का अवसर मिला।मंच पर आसीन विशिष्ट जनों में दो उच्चस्तरीय साधू महाराज भी थे।मंच पर ही एक महिला अपने हाथों की विशेष क्रियाओं के माध्यम से संस्था के मूक-बधिर बच्चों तक विशिष्ट जनों द्वारा दिये जा रहे भाषणों को प्रेषित कर रही थी।भाषण हिंदी में थे या यदा-कदा अंग्रेजी के कुछ वाक्य आ जाते थे जिन्हें वह महिला तीव्रता से हाथों की विशेष क्रियाओं के द्वारा प्रेषित कर देती थी। यह सब देखने में बहुत आकर्षक था। अचानक इस व्यवस्था को संस्कृत भाषा की नजर लग गई। दरअसल एक महामंडलेश्वर ने अपने भाषण में संस्कृत भाषा का अधिकतम इस्तेमाल किया। मूक-बधिर बच्चों तक हाथों की विशेष क्रियाओं द्वारा भाषणों का संप्रेषण कर रही महिला इस स्थिति में किंकर्तव्यविमूढ़ हो गई। इससे संस्कृत भाषा की उपयोगिता पर कोई सवाल नहीं उठा परंतु एक नई प्रकार की दिव्यांगता के दर्शन हो गए।


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