फ्यूचर लाइन टाईम्स
भारत में कन्या का विवाह एक कठिन काम समझा जाता है। उचित वर मिल जाए, तो दहेज की समस्या के कारण बहुत सी कन्याएँ लम्बे समय तक कुँवारी रह जाती हैं। अब तो इस समस्या ने इतना भयंकर रूप धारण कर लिया है कि शिक्षित और धनवान लोग भी कन्याओं को गर्भ में ही मार देते हैं। इसके कारण पूरे देश में बालक और बालिकाओं का अनुपात गड़बड़ा रहा है।
आश्चर्य की बात तो यह है कि देश के सर्वाधिक सम्पन्न पंजाब और हरियाणा राज्य में कन्याओं का प्रतिशत सबसे कम हो गया है। बड़ी संख्या में कन्याएँ आत्महत्या भी कर रही हैं। यह स्थिति अत्यन्त चिन्ताजनक है। अनेक लोग तो जुबानी जमा खर्च कर अपना कर्तव्य पूर्ण समझ लेते हैं; पर अनेक राज्यों में शासन इस समस्या को दूर करने के लिए कन्या जन्म पर पुरस्कार, जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य की देखभाल और उनकी शिक्षा का निःशुल्क प्रबन्ध कर रहा है। दूसरी ओर समाजसेवी संस्थाएँ एवं व्यक्ति निर्धन कन्याओं के विवाह के लिए प्रयास कर रहे हैं।
पंजाब में कन्याओं के घटते प्रतिशत और अविवाहित कन्याओं की पीड़ा को सन्त जसपाल सिंह ने समझा। उन्होंने केवल बातें नहीं बनायीं; अपितु निर्धन कन्याओं के विवाह का संकल्प लेकर काम शुरू कर दिया।
उनका जन्म दिसम्बर 12, 1954 को हुआ था। देश और समाजसेवा का भाव उनके मन में बचपन से ही था। 1975 में वे भारतीय सेना में भर्ती हो गये; पर किसी कारण से उनका मन वहाँ नहीं लगा। अतः दो साल बाद ही वह फौज की नौकरी छोड़कर अपने गाँव वापस आ गये।
गाँव में आकर वे अपनी खेतीबाड़ी में लग गये; पर उनके मन में समाजसेवा की भावना जोर मार रही थी। जब उन्होंने निर्धन कन्याओं और विधवाओं की दुर्दशा देखी, तो उन्होंने इसे दूर करना ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। उन्होंने अपने परिचितों से इसकी चर्चा की। कुछ ने हतोत्साहित किया, तो कुछ ने साथ देने का आश्वासन। इस प्रकार 1977 में भाई धनैया जी न्यास और पब्लिक सेवा सोसायटी, बन्दोवाल की नींव रखी गयी।
इन संस्थाओं के मुख्य कर्ताधर्ता जसपाल सिंह ही हैं। तब से लेकर आज तक वे इस महान सेवाकार्य में लगे हैं। अब तक वे बीस हजार से भी अधिक निर्धन कन्याओं का विवाह करा चुके हैं। यह विवाह व्यक्तिगत न होकर सामूहिक रूप से होते हैं। अर्थात एक ही मंडप में सैकड़ों जोड़े एक साथ अपनी धार्मिक या पान्थिक विधि से विवाह के पवित्र बन्धन में बँधते हैं।
विवाह के समय जसपाल समाज के धनी लोगों के सहयोग से घरेलू उपयोग का सामान भी देते हैं। इस सेवा के कारण लोग उन्हें सन्त जी कहते हैं। वे आयुर्वेद के भी जानकार हैं। उनके इलाज से स्वस्थ हुई एक महिला ने उन्हें ग्राम बन्दोवाल में कुछ जमीन दान में दे दी। इसे केन्द्र बनाकर ही जसपाल जी समाज सेवा की गतिविधियाँ चलाते हैं।
यहाँ बने भाई धनैया अस्पताल में निर्धनों की निःशुल्क चिकित्सा की जाती है। इस न्यास की ओर से हर साल आँख, कान, दाँत के रोगों के शिविर तथा नशामुक्ति के कार्यक्रम चलाये जाते हैं। इसके साथ ही सन्त जी प्रतिवर्ष 500 विधवाओं को भी उनकी आवश्यकता की वस्तुएँ देते हैं। पर्यावरण के प्रति जागरूक संत जी पर्यावरण संरक्षण के अभियान भी चलाते हैं।
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