फ्यूचर लाइन टाईम्स
ईमानदारी, पुण्य,धर्म करने की प्रवृत्ति,दयापूर्ण प्रेम व्यवहार,स्वार्थ त्याग,सौम्यता,सरलता,निर्वेरता,पवित्रता,सत्यपरायणता, ये चरित्र रुपी बल के अंग हैं।
जो व्यक्ति लज्जाशील,प्रियवादी,जितेन्द्रिय,स्वार्थ-त्यागी,सदगुण सदाचार का भण्ड़ार,धीर,वीर,गम्भीर स्वभाव वाला,निर्लोभी,दानशील,उदार,धर्मात्मा, और सबका कल्याण चाहने वाला है,उसे ही सज्जन कह सकते हैं।
संसार का काम तो मनुष्य संख्या से नहीं,चरित्र बल से चल रहा है।संसार की मानव जाति का सहारा चरित्र बल है।जिस जाति के पास जितना चरित्र बल है,वह उतनी ही सुखी और सम्पन्न है।
चरित्र बल को हम कैसे पहचाने-
जिसके पास चरित्र बल होता है,उसकी बातें निराली होती हैं।चरित्रवान नीच कार्य से घृणा करता है।दूसरों को अपने समान समझकर उसके साथ बर्तता है।जो उसके मन में है वही कहता है,और जो कहता है,वही करता है।
चरित्रवान को कोई घूस नहीं दे सकता है ओर वह स्वयं किसी को धोखा नहीं देता।चरित्रवान दूसरों के विचारों को सह्रदयता से सुनता है।उसके विचार भिन्न हों तो भी सत्य के आगे सिर झुकाता है।
चरित्रवान अपनी शक्ति को दूसरों की भलाई करने के काम में लाता है।वह अपनी शक्ति से बुराई दूर करता है और आपदा को सहन करता है।
दुःख के समय चरित्रवान चमकता है।सब कुछ खो जाने पर वह असफल हो जाने पर ,सत्य और साहस से सामना करता है।
भारी आपत्ति के समय में भी कभी पथभ्रष्ट नहीं होता।इन्हीं गुणों के कारण चरित्रवान आदर पाता है।
एक बड़ा बलवान सिपाही है पर चरित्रबल से हीन है तो वह शत्रु के हाथ में पड़कर अपनी सेना के सब भेद बता देगा और हार का कारण बन जायेगा।
लेकिन कितना भी दुबला पतला कमजोर सिपाही हो,पर चरित्ररुपी बल यदि उसके पास हो तो वह कभी किसी के आगे झुकेगा नहीं
और लोग उसकी पूजा करेगें।
वास्तव में चरित्ररुपी बल जिसके पास होगा उसे ही सत्पुरुष कहते हैं।
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