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आज का वेदमंत्र,अनुवाद महात्मा ज्ञानेन्द्र अवाना

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


प्रत्वक्षसः प्रतवसो विरप्शिनोऽनानता अविथुरा ऋजीषिणः।
जुष्टतमासो नृतमासो अञ्जिभिर्व्यानज्रे के चिदुस्रा इव स्तृभिः॥ ऋग्वेद १-८७-१।।


हे सेना के प्रमुख, आपको उन वीरों की रक्षा और प्रोत्साहन देना चाहिए, जिनमें शत्रु को हराने के गुण हैं। जिस प्रकार सूर्य की तेज किरण जल कणों को छिन्न-भिन्न कर देती है, उसी प्रकार ये वीर शत्रुओं को छिन्न-भिन्न कर देते हैं।  जो सभी विद्याओं से युक्त हैं और कभी भी शत्रु के समक्ष ना कांपते हैं, और ना ही असहाय होते हैं। ऐसे वीरों का सदा सत्कार करना चाहिए।


O chief of the army, you should protect and encourage those brave persons who have the virtues to defeat the enemy.  Just as the sun's strong rays disintegrate the water particles, in the same way these brave persons scatter the enemies.  They are full of  knowledge of various kind and never tremble before the enemy, nor are they helpless.  Such heroes should always be respected. Rig Veda 1-87-1


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