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ऋषि बोध कथा पुस्तक का विमोचन 

फ्यूचर लाइन टाईम्स


संपादक- सहदेव समर्पित एवं डॉक्टर विवेक आर्य 
प्रकाशक- हितकारी प्रकाशन समिति, हिंडौन सिटी, राजस्थान 


महर्षि दयानन्द सरस्वती कौन थे ?


एक ऐसे ब्रह्मास्त्र थे जिन्हें कोई भी पंडित,पादरी,याज्ञिक, नैयायिक, व्याकरणाचार्य, मौलवी,ओझा,तान्त्रिक आदि हरा नहीं पाया और न ही उन पर अपना कोई मंत्र-तंत्र या किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव छोड़ पाया। 
एक ऐसा वेद का ज्ञाता जिसने सम्पूर्ण भारत वर्ष में ही नहीं अपितु पूरी दुनियां में वेदों का डंका बजाया था। 
एक ऐसा ईश्वर भक्त, जिसने ईश्वर को प्राप्त करने के लिए अपना घर त्याग ही कर दिया। 
एक ऐसा महान व्यक्ति जिसने लाखों की संपत्ति को ठोकर मार दी पर सत्य के राह से विचलित नही हुआ।
एक ऐसा दानी जिसने अपने गुरु दक्षिणा मे अपना सम्पूर्ण जीवन ही दान दे दिया। 
एक ऐसा क्रान्तिकारी जिसने सबसे पहले आजादी का बिगुल फूकँ न जाने कितने लोगो के अन्दर क्रान्ति की भावना को पोषित किया।
एक ऐसा स्वदेश भक्त जिसने सबसे पहले स्वदेशीय राज्य को सर्वोपरी कहाँ और अंग्रेजो के सामने ही देश के पर स्वदेशी राजा होने की मंगल कामना की थी।
एक ऐसा गौरक्षक व गौ प्रेमी जिसने सबसे पहले गौ रक्षा हेतू गौरक्षणी सभा बनाई व इसके नियमों का प्रतिपादन किया।
एक ऐसा निडर व्यक्ति जिसने निर्भीक होकर समाज की कुप्रथाओ, कुरितीयो पर प्रहार किया।
एक ऐसा व्यक्ति जिसने कभी भी सत्य से समझौता नही किया।
एक ऐसा धर्म धुरंधर जो केवल वेद का ही नही अपितु कुरान, पुराण, बाईबिल, जैन, बुद्ध व अन्य मजहबी व मंत मतान्तर के ग्रंथों का समीक्षात्मक ज्ञान था।
एक ऐसा सत्य का पुजारी का जो अपनी हर बात डंके की चोट पर कहता था।
एक ऐसा धर्म धुरंधर जिसने सभी पाखंडो का खंडन कर सत्य का राह दिखाया।
एक ऐसा धर्म धुरंधर जिसने इस देश का धर्मान्तरण  ईसाईयत व ईस्लामीकरण होने से केवल रोका ही नहीं अपितु शुद्धि द्वारा धर्मान्तरित बिछड़ो को वापिस अपने पूर्वजों के वैदिक धर्म में आमंत्रित किया।
एक ऐसा सत्यनिष्ठ जिसे किसी प्रकार के लोभ व लालच विचलित नहीं कर पाये। 
एक ऐसा सन्यासी जो पत्थरो, जूतों की मार से कभी विचलित नहीं हुआ अपितु उनके संकल्प ईश्वरप्रेरणा से चट्टान के समान दृढ़ बने रहें।
एक ऐसा ऋषि जिसने पुनः यज्ञ,योग व पुरानत ऋषि महर्षियों के वैदिक ज्ञान को पुनः स्थापित कराया।
एक ऐसा ज्ञानी जिसने ब्रह्मा से जमीनी ऋषि कृत आर्ष ग्रंथों का उद्धार किया


एक ऐसा ऋषि जिसने ऋषियों के नाम से बनाये सभी अनार्ष ग्रन्थों को निष्काषित कर धर्म ग्रंथों में जनसमूह की श्रध्दा को पुन: स्थापित किया।
एक ऐसा समाज सुधारक जिसने सबसे पहले सती प्रथा, बाल विवाह, जैसे कुप्रथाओं पर प्रहार कर समस्त भारत मे नारी की प्रतिष्ठा को समाज में पुनः स्थापित कराया। 
एक ऐसा समाज सुधारक ने माँसाहार व शाकाँहार में भेद स्पष्ट कर समाज को पुनः शाँकाहार के रास्ते पर चलाया।
एक ऐसा समाज सुधारक जिसने केवल भारत के लिए ही नहीं अपितु विश्व के कल्याण की भावना से नि:स्वार्थ काम किया ।
धन्य है आपको ऋषिवर देव दयानंद ! तेरे उपकार न जाने कितने हैं,अनेक कष्ट सहकर भी, अनेक बार ज़हर पीकर भी आप अपने पथ से नहीं डगमगाये !


 


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