फ्यूचर लाइन टाईम्स
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या पर जो निर्णय को किसी धर्म या संप्रदाय की जीत एव हार के रूप में नही देखना चाहिए. यह ना किसी संप्रदाय, राजनीतिक संगठन, धार्मिक संगठन, सरकार या व्यक्ति विशेष की जीत है और ना हार है...
यह इस देश के सभी नागरिको एव संविधान की जीत है. माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फैसला देश के सभी वर्गो एव साम्प्रदायिक भावनाओ के अनुरूप आया है जिसमे सभी जन भावनाओ का ध्यान रखा गया है.
श्री राम जन्मभूमि पर राम मंदिर चाहने वालो को जल्द राम मंदिर मिल जाएगा और अयोध्या में मस्जिद चाहने वालो को मस्जिद मिल जाएगी. जब सभी को जो चाहा वो मिल गया तो कोई कैसे हारा और जब कोई हारा ही नही तो फिर कौन जीता... इसलिए यह हार जीत से बहुत ऊपर का मामला है.
मेरा आप सभी से यह निवेदन है कि इस फैसले का स्वागत किया जाए और केंद्र एव राज्य सरकार से जल्द से जल्द इसे अमल में लाने का निवेदन किया जाए और अति उत्साह या ना समझी में ऐसा कोई कदम नही उठाना चाहिए जिससे आपसी भाईचारे एव सौहार्द में कोई परेशानी आए और दुनिया के समने देश शर्मिंदा हो..
भारत एक धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गंगा जमुना तहजीब वाला एव राम - रहीम का देश है जिसे हमे आगे बढ़ाना है और ऐसे संवेदनशील विषयो का निस्तारण करके आगे बढ़ना है... देश की एकता एव अखंडता में ही सबकी जीत है.
डॉ. जितेंद्र
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