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रहिमन निज संपत्ति बिन कोउ न विपति सहाय बिनु पानी ज्यों जलज को नहि रवि सकै बचाय

फ्यूचर लाइन टाईम्स 



ससि सुकेस साहस सलिल मान सनेह रहीम ।
बढत बढत बढि जात है घटत घटत घटि सीम ।अर्थ : 
चाॅद सुन्दर बाल साहस जल प्रतिश्ठा और स्नेह धीरे धीरे बढ जाता है औरधीरे धीरे कम भी हो जाता है।इन्हें बढाने की कोशिश करनी चाहिये लेकिन घमंड होने से इनमें
क्रमशः कमी आने लगती हैं।


होत कृपा जो बडेन की सो कदापि घट जाय
तो रहीम मरिबो भलो यह दुख सहो न जाय ।अर्थ : 
यदि कभी बड़ों की कृपा दया प्रेम किसी पर से खत्म हो जाये तो इससे मरना हीं अच्छा है कयोंकि यह दुख सहन नही होता और जीवन नरक तुल्य हो जाता है।


रहिमन कुटिल कुठार ज्यों करि डारत द्वै टूक
चतुरन को कसकत रहे समय चूक की हूक ।अर्थ : 
तेज धार की कुल्हाड़ी जिस प्रकार लकड़ी को दो टुकड़ा कर देता हैउसी तरह समझदार ब्यक्ति को समय का लाभ नही उठाने-वूक जाने का दर्द-कसक पैदा करता
रहता है।चतुर ब्यक्ति का हृदय विदीर्ण हो जाता हैं।


रहिमन तीन प्रकार ते हित अनहित पहिचानि
पर बस परे परोस बस परे मामिला जानि  ।


अर्थ : 
जब ब्यक्ति दूसरों पर आश्रित हो गया हो;जब कोई हितैसी पड़ोस में बस गया हो और
जब कोई मुकदमा में फॅस गया हो और इन परिस्थितियों में कोई सहायता करे तो उसे सच्चा हितैसी मानना चाहिये।   


रहिमन निज संपत्ति बिन कोउ न विपति सहाय
बिनु पानी ज्यों जलज को नहि रवि सकै बचाय


अर्थ : 
अपनी संपत्ति नही रहने पर विपत्ति में कोई भी सहायता नही करता है।जैसे पानी नही रहने पर कमल को सूरज भी नही बचा सकता है। आपका सामथ्र्य देख कर हीं
लोग मदद करते हैं।


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