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पुनर्जन्म और आवागमन

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


पुनर्जन्म और आवागमन जीवन के अन्तिम लक्ष्य तक पहुँचने के लिए कई सीढ़ियां हैं जो भिन्न-भिन्न योनियों के रूप में हैं। जीव का अपने कर्मानुसार इन सब योनियों में आने जाने का नाम आवागमन है और मोक्ष न मिलने तक बार-बार जन्म लेने का नाम पुनर्जन्म है। ये योनियां दो प्रकार की हैं एक भोग योनि और दूसरी भोग और कर्म योनि। पहली प्रकार की योनि के अन्तर्गत पशु, पक्षी, कीट, पतंग आदि जो केवल गत जन्मों के कर्मों का भोग करते हैं। दूसरी प्रकार की योनि के अन्तर्गत मानव है, जो अपने कर्मों का फल भोग करता है और साथ ही नये कर्म भी करता है। आवागमन का यह चक्र जीव के सुधार और उसके द्वारा गत योनियों के पापों के फल भोग के साथ साथ उच्चतर योनि में जाने का मार्ग है। वैदिक धर्म में दंड विधान वैज्ञानिक और उच्च कोटि का है। दंड का उद्देश्य प्राणी को केवल कष्ट देना नहीं किन्तु, साथ में, सुधार करना भी है। जिस व्यक्ति ने सम्पूर्ण इन्द्रियों से पाप किये हैं, उसकी सम्पूर्ण इन्द्रियां छीन ली जाती हैं और उसे स्थावर योनियों -- वृक्ष, वनस्पति इत्यादि में भेज कर इन्द्रियों द्वारा पूर्वकृत पापों का फल भुगतवा कर, क्रमशः विभिन्न योनियों के बाद पुनः मनुष्य योनि में पिछले जन्मों का फल भोगने और नवीन कर्म करने—दोनों को निरन्तर एक साथ अविच्छिन्न अबाधगति रूप में चलाने के लिए भेजा जाता है। मनुष्य की भी अपने कर्मफलानुसार कई श्रेणियाँ हैं। जब तक मानव मोक्ष प्राप्त नहीं कर लेता, तब तक आवागमन का यह चक्र अबाध गति से चलता रहता है।


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