फ्यूचर लाइन टाईम्स
जिस प्रकार दिन प्रतिदीन शहरों और कस्बों में वाहनों का चलन सा आ गया है वो तो ठीक है लेकिन उस मोटरवाहनों में प्रेशर हार्न का लगाना प्रदूषण का कारन बनता नजर आ रहा है। लोग अपने जरुरत के काम को लेकर शाम में बाजार जाते हैं तो अपना समान लेने के बाद जब वो बाहर निकलतें हैं तो अपना कान बन्द करना उनकी मज़बूरी हो जाती है, और मजबूरी का सबसे बङा कारण है मोटरवाहनों में लगा प्रेशर हार्न, सरकारें इस पर रोक तो हमेशा लगाते आई है लेकिन नासमझ लोग इसे अपने गाङी में लगाना गर्भ समझतें हैं। लेकिन उनको कहाँ मालुम की इससे आम लोगों को कितनी परेशनीयाँ होती है।
ध्वनि प्रदूषण का और भी कारन है।
01 उधोग निर्माण के दौरान:- लगभग सभी औद्योगिक क्षेत्र ध्वनि प्रदूषण से प्रभावित हैं कल-कारखानों में चलने वाली मशीनों से उत्पन्न आवाज/गड़गड़ाहट इसका प्रमुख कारण है ताप विद्युत गृहों में लगे ब्यायलर, टरबाइन काफी शोर उत्पन्न करते हैं।
02.स्वचालित वाहनों के कारण:- परिवहन के सभी साधन कम या अधिक मात्रा में ध्वनि उत्पन्न करते हैं इनसे होने वाला प्रदूषण बहुत अधिक क्षेत्र में होता है. इससे ध्वनि प्रदूषण के साथ वायु प्रदूषण की कल्पना स्वतः की जा सकती है।
03 निर्माण कार्यों के दौरान:- घर बनाने के लिए आजकल लगातार कंस्ट्रक्शन का काम चलता ही रहता है. विभिन्न निर्माण कार्यों में प्रयुक्त विभिन्न मशीनों और औजारों के प्रयोग से भी फलस्वरूप ध्वनि प्रदूषण बढ़ा है।
04 पटाखों के आतिशबाजी का दौराण:-हमारे देश में विभिन्न त्योहारों, उत्सवों, मेंलों, सांस्कृतिक/वैवाहिक समारोहों में आतिशबाजी एक आम बात है।इन आतिशबाजियों से वायु प्रदूषण तो होता ही है साथ ही ध्वनि तरंगों की तीव्रता भी इतनी अधिक होती है, जो ध्वनि प्रदूषण जैसी समस्या को जन्म देती है।
सरकार के साथ लोगों को भी होना पङेगा जागरूक।
जिस प्रकार परीवहन विभाग हर बार-बार लोगों को जागरूक करते आ रही है की मोटरवाहनों में प्रेशर हार्न ना लगाएं ताकि ध्वनी प्रदूषण का स्तर कम हो सके, लेकिन विभाग के साथ-साथ लोगों को भी जागरुक होने कि आवश्कता है। ताकि लोगों को होने बाली समस्यायों से निदान मिल सके।
ध्वनि प्रदूषण के कारन:-
ध्वनि प्रदूषण का नाम सुनते हीं ज़हन में एक सवाल आता है अत्याधिक शोर किसी प्रकार के अनुपयोगी ध्वनि का श्राव होना,दुनियाभर में सबसे ज्यादा शोर मोटरवाहनों का शोर से होता है। उसके बाद फ़िर शादियों के महीनों में पटाखों को प्रज्वलित करने से होता है जिस प्रकार शादियों और पार्टियों में अधिक मात्रा में पटाखों को छोड़ा जाता है उससे अधिक मात्रा में ध्वनि प्रदूषण तो होता हीं है लेकिन कहीं उससे ज़्यादा वायु प्रदूषण होता है। और इसका जिम्मेदार पूरी तरह से उस शादी या पार्टी को संचालित करने वाला होता है। अगर आज के पीढ़ी इस परंपरा पर अंकुश नहीं लगाया तो आने वाले समय में स्वच्छ हवा सिर्फ़ और सिर्फ़ ऑक्सिजन सिलेंडर में हीं नसीब होगा।
सरकार को मोटर एक्ट के तरह इस पे भी कानून बनाने की है ज़रूरत।
जिस प्रकार सरकार 1 सिंतबर से मोटर वाहन अधिनियम लाया है उस दिन से चालान कटने में असातीति बृद्धि हुई तो वही सड़क हादसों में कमी भी आई है। आगर अधिनियम लाने से लोग इतना सतर्क हो सकतें है तो प्रेसर हॉर्न पर भी कानून बना सकता है फिर सायद लोग अपने मोटरसाइकिल में प्रेसर हॉर्न लगाने से डरें और अपने वाहन में नार्मल हॉर्न लगाए और ध्वनि प्रदुषण में भी रोड एक्सीडेंट की तरह कम हो सके।
ध्वनि प्रदुषण से बचाव के उपाय
1. सरकार और जनता के संयुक्त प्रयासों से ध्वनि तथा शोर की तीव्रता को कम करके हम ध्वनि प्रदुषण से निजात पा सकते हैं।
2. ध्वनि प्रदुषण को नियंत्रित करने के लिए ये भी बेहद आवश्यक है कि हम ध्वनि एवं शोर को नियंत्रित करें। ताकि इसके प्रभाव को कम किया जा सके।
3. विभिन्न क्षेत्रों में सड़कों के किनारे हरे वृक्षों की कतार खड़ी करके ध्वनि प्रदूषण से बचा जा सकता है क्योंकि हरे पौधे ध्वनि की तीव्रता को 10 से 15 डी.वी. तक कम कर सकते हैं महानगरीय क्षेत्रों में हरित वनस्पतियों की पट्टी विकसित की जा सकती है।
4. प्रेशर हार्न बंद किए जाएं, इंजन व मशीनों की मरम्मत लगातार हो सही तरह से ट्रैफिक का संचालन हो।
5. इसके अतिरिक्त भी हम कई तरह के प्रयास जैसे कि सार्वजनिक वाहनों के इस्तेमाल और कई ऐसे अन्य तरीके अपनाकर इसे कम कर सकते हैं।
प्रदूषण को ना करें नजरअंदाज- डॉ• नवीन
अगर आप ध्वनि प्रदूषण को नजरअंदाज कर रहे हैं तो सावधान हो जाइये इससे न केवल आप बहरे हो सकते हैं बल्कि याददाश्त एवं एकाग्रता में कमी, चिड़चिड़ापन, अवसाद जैसी बीमारियों के अलावा नपुंसकता और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों की चपेट में भी आ सकते हैं।
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