फ्यूचर लाइन टाईम्स
कल जैसे ही फडनवीस ने इस्तीफा दिया शिवसेना मुख्यालय पर, कांग्रेस और एनसीपी मुख्यालय पर ढोल नगाड़े बजने लगे । ये स्वाभाविक था।दो दिन पहले भाजपा वालों ने भी पटाखे चलाए थे। ये परिपाटी है ।
शेष मुंबई में कहीं कुछ नहीं हो रहा था। शांति थी ।मगर कुछ इलाकों में हलचल थी । लोग इकट्ठा हो कर एक दूसरे को गले लगा रहे थे । लड्डू बांटे जा रहे थे।लड़के मोटरसाइकिल पर सवार होकर तेजी से आगे निकल रहे थे ।
ये इलाके थे भिंडी बाजार,चोर बाजार , मस्जिद बंदर, भायखला,मीरा रोड ,भायंदर ,कुर्ला , मुंब्रा
यहां मानो ईद मनाने जैसी चहल-पहल थीं । जिंदाबाद के नारे लग रहे थे ।हमारा नेता कैसा हो , अब्बू आजमी जैसा हो की गूंज उठ रही थी । मेरे मित्र को आश्चर्य हुआ कि भाई शिवसेना की सरकार बनने पर शांतिदूत क्यों खुश हो रहे हैं ? इन्होंने अपने टैक्सी ड्राइवर से पूछा जो खुद शांतिदूत था तो उसने कहा कि शिवसेना से हमलोगो को कोई डर नहीं है।वह तो चंदा खाने वाली पार्टी है। उसके कारपोरेटर को पैसे दो और मंदिर के सामने चिकेन चिल्ली बेचो । बिहारी ड्राइवरों को भगाया तो सारी टैक्सियां अपने लोग चला रहे हैं । हमें तो खतरा बी जे पी से है
देखो , उसने तीन तलाक खतम किया
कश्मीर पर कब्जा किया
राममंदिर बनाने जा रहा है
अगर फडनवीस फिर सी एम बनता तो मेट्रो पूरा करता । उसमें हमलोगों की कम से कम 100 झुग्गियां उजड़ जातीं क्योंकि वे सब सरकारी जमीन पर बसी हैं
दूसरा खतरा है एन आर सी
कम से कम 10 15 लाख बंगलादेशी मुंबई में हैं।और सब के सब इन्ही इलाकों में हैं।होटल ,ढाबे ,बीयर बार,मीट दुकान,धोबी घाट, सब जगह ये लोग भरे हुए हैं
इन्हें बाहर निकाल दिया जाएगा । ये बहुत बड़ा डर था
इसलिए खुशी तो बाजिब है । हमलोग झुग्गियां बनाएंगे ,फल सब्जी ,मीट , मछली के ठेले लगाएंगे , धंधा करेंगे , कोई इनक्रोचमेंट नहीं हटाएगा ।बस इसी बात की खुशी है
अब फिर से मुंबई में रौनक लौट जाएगा साहब
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