-->

मंदिर निर्माण में सहयोग करे साधु संत और हिन्दू संगठन - स्वामी चक्रपाणि महाराज 

फ्यूचर लाइन टाईम्स


अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि का कहना है कि व्यक्तिवाद से ऊपर उठकर निस्वार्थ भावना से अयोध्या में मंदिर निर्माण में सहयोग करे साधु संत और हिन्दू संगठन अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण पर भारत सरकार द्वारा गठित होने वाले श्री राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट में अपने अपने प्रभुत्व को लेकर साधु संतों में अकस्मात उत्पन्न हुए घमासान पर अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि जी महाराज ने निराशा और हताशा प्रकट की है । उन्होंने कहा कि ट्रस्ट में स्वयं अथवा अपने अपने मठ या ट्रस्ट का प्रभुत्व स्थापित करने का जो स्वार्थ साधु संतो पर हावी हुए है वो दुर्भाग्यपूर्ण है । 
      स्वामी जी ने अपने एक संदेश में कहा कि चार सौ ब्यानबे वर्ष की त्याग , तपस्या और बलिदान तथा अखिल भारत हिन्दू महासभा की ७० वर्षों की लंबी न्यायिक लड़ाई के बाद मंदिर निर्माण के पक्ष में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय हिन्दुओं के पक्ष में आया है । यह हिन्दू समाज और हिंदुत्व के लिए स्वर्णिम अवसर है । ट्रस्ट में प्रभुत्व को लेकर साधु संतों और धर्माचार्यों में मतभेद का उत्पन्न होना अनुचित है , जो हिन्दू समाज के लिए भविष्य में घातक भी सिद्ध हो सकता है । 
      हिन्दू महासभा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विवेक जोशी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि जी महाराज ने साधु संतों और हिन्दू संगठनों से व्यक्तिवाद की भावना से ऊपर उठकर निस्वार्थ भावना से मंदिर निर्माण में सहयोग करने का आह्वान किया है । 
      जोशी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में ट्रस्ट बनाने का उत्तरदायित्व भारत सरकार को सौंपा  है । साधु संतों , धर्माचार्यों और हिन्दू संगठनों का दायित्व बनता है कि वो भारत सरकार के साथ सहयोग करे और मंदिर निर्माण के पांच शताब्दी पुराने स्वप्न के साकार होने का साक्षी बने । उन्होंने कहा कि श्रीराम मंदिर किसी व्यक्ति अथवा संस्था का न होकर संपूर्ण हिन्दू जनमानस का मंदिर है । उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा स्थापित होने जा रहे ट्रस्ट पर अनर्गल बयानबाजी उचित नहीं । जो भी साधु संत अथवा हिन्दू संगठन ट्रस्ट में प्रतिनिधित्व का दावा कर रहे है , उनके लिए अपनी बात लिखित रूप  सरकार को अवगत करवाना और सरकार के निर्णय की प्रतीक्षा का मार्ग अपनाना होगा।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ