फ्यूचर लाइन टाईम्स
'मैं वो कलम नहीं जो बिक जाती है दरबारों में
मैं शब्दों की दीपशिखा हूं अधियारे चौबारों में
मैं वाणी का राजदूत हूं, सच पर मरने वाला हूं
डाकू को डाकू कहने की हिम्मत करने वाला हूं
मेरी कलम वचन देती है अधियारों से लड़ने का
राजमहल के राजमुकुट के आगे तन कर अड़ने का...।'
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