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मैं रंगा बिल्ला तो नहीं  : राजेश बैरागी

फ्यूचर लाइन टाईम्स 



धन शोधन मामले में तीन माह से जेल में बंद भारत के पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने अपने वकीलों के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट से पूछा है कि कोर्ट उन्हें रंगा बिल्ला तो नहीं समझ रही है। दरअसल चिदंबरम जमानत पर जेल से बाहर आना चाहते हैं और कोर्ट उनकी दलीलों से संतुष्ट नहीं है। ऐसे में उन्हें कोर्ट को गलतफहमी होने का डर लगा तो उन्होंने पूछा। कोर्ट ने कोई जवाब देने के बजाय ईडी आदि एजेंसियों से जवाब मांगा है।१९७८ में आर्थर रोड जेल मुंबई से रिहा होने के बाद सीधे दिल्ली आए रंगा और बिल्ला नामक कुख्यात अपराधियों ने दो बच्चों गीता और संजय चौपड़ा का फिरौती के लिए अपहरण कर नृशंस हत्या कर दी थी। मामला मेनका गांधी के परिवार से जुड़ा होने के कारण पुलिस ने तीव्रता से कार्रवाई करते हुए दोनों अपराधियों को ढूंढ निकाला और उन्हें अदालत ने फांसी की सजा दी। गीता संजय चौपड़ा के नाम पर एक वीरता पुरस्कार की स्थापना की गई जो अब भी प्रदान किया जाता है। चिदंबरम को अपनी तुलना रंगा बिल्ला जैसी क्यों लगी? क्या वो यह बताना चाहते हैं कि पैसे का अपराध तो उन्होंने किया परंतु पैसे के लिए किसी की हत्या उन्होंने नहीं की। हो सकता है उन्हें रंगा बिल्ला छोटे अपराधी नजर आते हों और उनसे तुलना करना उन्हें अखरे। चिदंबरम निस्संदेह बड़े... हैं। उन्हें फांसी नहीं दी जा सकती। उन्हें सदैव कारावास में रखना उचित होगा।


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