फ्यूचर लाइन टाईम्स
महाराष्ट्र की राजनीति में बहुत बड़ी उथल-पुथल मची हुई है पार्टियां आम जनता के साथ धोखा व खिलवाड़ के सिवा कुछ भी नहीं है राजनीति में इतना गिर जाएंगे कोई सोच भी नहीं सकता
गतांक से आगे..
गीता बिष्ट
महाराष्ट्र की स्थिति पर मगरमच्छ वाली "शरद पवार की साज़िश"!!
जयचंद, मानसिंह मर गये और औलाद छोड़ गये...!
राजनीतिक स्थिति बिलकुल साफ थीं महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना ने मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ा था. यह प्री-पोल अलायंस था. हिन्दुत्व व भ्रस्टाचार उन्मूलन इसका एक प्रमुख आधार था.
कुल २८८ सीटों में से भाजपा ने लगभग १५० सीटों पर चुनाव लड़ा. वे १०५ पर जीते. शिवसेना ने १२४ सीटों पर चुनाव लड़ा. वे ५६ सीटों पर चुनाव जीते. कुल मिलाकर १६१ सीटों पर विजयी रहा. यह स्पष्ट बहुमत था.
मगर परिणाम घोषित होने के दूसरे ही दिन शिवसेना प्रमुख उध्दव ठाकरे ने बयान दिया, “मुख्यमंत्री तो शिवसेना का ही होगा.
शिवसेना अड़ गई. 'भाजपा ने शिवसेना को ढाई साल मुख्यमंत्री बनाने का वचन दिया था' ऐसा शिवसेना ने कहा. यह सच नही था. शिवसेना का नेतृत्व भी यह जानता था. इसलिए वे ज्यादा आक्रामकता के साथ मुख्यमंत्री पद की मांग करने लगे.
पूरे चुनाव में भाजपा ने देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तुत किया था. सारी चर्चाओं मे, भाषणों मे, विज्ञापनों में देवेंद्र फडणवीस ही मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तुत होते रहे. मुंबई की मोदी जी की सभा में मंच पर, देवेन्द्र फडणवीस और उध्दव ठाकरे, दोनों उपस्थित थे. उनके सामने मोदी जी ने कहा, 'अगले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ही रहेंगे।'
अब ये सब क्यों और कैसे हुआ??
आइये देखते हैं-
शरद पवार राजीव गांधी सरकार के समय के दूसरे चिदंबरम हैं, इनकी जाँच चल रही है यहाँ तक शक़ है कि मुंबई बम विस्फोट के लिये ओर दाऊद को भगाने के लिए अरब देशों से मोटा फण्ड लिया है, अब जाँच को प्रभावित या रोकने के लिए राजनीतिक पॉवर चाहिये!
कश्मीर में हाल ही क्या हुआ शरद पवार ने मुफ्ती, अब्दुल्ला को बिना सत्ता के बंद पड़े देखा है, तो चुनाव होते ही उसी दिन अपनी संपत्ति बचाने हेतु पँवार ने शिवसेना प्रमुख को मुख्यमंत्री पद और वो 11000करोड़ रूपये ऑफर किया जो जाँच रोकने की रिस्वत देनी थी, फिर क्या था, चुनाव परिणाम से पहले ही शिवसेना और शिवसेना प्रमुख शरद पवार के हाथों बिक चुके थे। शरद पवार वो राजनीतिक मगरमच्छ है जो सारा कुछ निगल गया और क़भी पकड़ में भी नहीं आया। यही कारण है कि शिवसेना अब
'मुख्यमंत्री हमारा ही रहेगा' शिवसेना, २९ वर्षीय युवराज आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाना उद्धव ठाकरे के दिमाग़ नहीँ बल्कि शरद पवार की कूटनीति है।
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