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जगत में कोई न परमानेंट

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


जगत में कोई न परमानेंट
तेल चमेली चंदन साबुन, चाहे लगा लो सेंट !!


 आवागमन लगा दुनिया में, जगत है रेस्टोरेंट !
अंत समय में उड़ जाएंगे, तेरे तंबू टेंट !!


हरिद्वार चाहे मथुरा काशी, घूमो दिल्ली कैंट !
मन में नाम प्रभु का राखो, चाहे धोती पहनो या पेंट !!


 राष्ट्रपति या जर्नल कर्नल, चाहे वो लेफ्टिनेंट !
काल सभी को खा जाएगा, लेडीज हो या जेंट्स !!


ईश्वर की संगत कर लो, यह सच्ची गवर्नमेंट !
पूज्य ऋषि दयानन्द कहे दफ्तर से, मत होना अब्सेंट !!
जगत में कोई न परमानेंट
          
               


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