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होमगार्ड्स : तेरी गठरी में लागा चोर : राजेश बैरागी

फ्यूचर लाइन टाईम्स 



सबसे निम्न दर्जे के सुरक्षाकर्मी माने जाने वाले होमगार्डों के वेतन के बजट को विभाग के अधिकारी ही डकारने में लगे हैं।बात फूटी है तो अब एफआईआर दर्ज करने से लेकर उच्चस्तरीय जांच भी बैठा दी गई है।
      थानों, चौराहों, सार्वजनिक स्थलों, वीआईपी सुरक्षा से लेकर कुंभ मेला और चुनावों तक में पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कानून व्यवस्था संभालने वाले होमगार्डों के भाग्य पर कष्टों की महादशा चल रही है।गत १२ अक्टूबर को उत्तर प्रदेश सरकार ने एकसाथ २५ हजार होमगार्ड्स को निकालने का फरमान जारी कर दिया।यह घोषणा सर्वोच्च न्यायालय के इसी वर्ष २५ सितंबर को आये उस फैसले के सत्रहवें दिन की गई जिसमें होमगार्डों को पुलिस के बराबर वेतन देने का आदेश दिया गया था। किसी प्रकार उस सरकारी फैसले की वापसी से बर्खास्तगी बची तो अब पूरे प्रदेश में उनकी फर्जी ड्यूटी दिखाकर करोड़ों रुपए विभागीय अधिकारियों द्वारा डकारने के मामले खुलने लगे। दिलचस्प यह है कि बजट की कमी के कारण ही २५ हजार होमगार्ड्स को निकालने की घोषणा की गई थी।
   जानकारी के मुताबिक समूचे उत्तर प्रदेश में होमगार्ड के कुल एक लाख अठारह हजार पद स्वीकृत हैं। इनमें से लगभग ९५ हजार होमगार्ड ड्यूटी पर हैं। इन्हें संविदा कर्मियों की तर्ज पर दैनिक आधार पर वेतन मिलता है। जरूरत के अनुसार ड्यूटी लगाई जाती है। संख्या में हेर-फेर कर फर्जी तौर पर वेतन निकासी का मामला उजागर हुआ है। इस घोटाले में विभाग के अधिकारियों द्वारा करोड़ों रुपए डकारने की आशंका जताई जा रही हैं।
       गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के अलावा यहां के होमगार्ड राजस्थान और मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में भी ड्यूटी कर चुके हैं। हालांकि पुलिस के साथ मिलकर होमगार्ड्स के द्वारा अवैध वसूली और अपराधिक घटनाओं में शामिल होने की घटनाएं भी सामने आती रहती हैं। फिर भी सुरक्षा के लिहाज से होमगार्ड पुलिस के काउंटर पार्ट के तौर पर ही जाने जाते हैं। विभागीय मंत्री चेतन चौहान पहले २५हजार होमगार्ड की बर्खास्तगी टलवाने और अब उनके वेतन में सेंध लगाने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई का आदेश देकर सुर्खियों में हैं।


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