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होमगार्ड जैसा घोटाला ,नौएडा प्राधिकरण में भी ! राजेश बैरागी

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


नौएडा प्राधिकरण में कार्यरत लगभग चार हजार संविदा कर्मियों में से प्रतिदिन कितने लोग काम पर आते हैं? इस प्रश्न का पूरक प्रश्न यह भी है कि प्रतिमाह कितने संविदा कर्मियों का वेतन ड्यूटी पर न आने के लिए काटा जाता है।
        गौतमबुद्धनगर में उद्घाटित होकर समूचे उत्तर प्रदेश में प्रकट हो रहा होमगार्ड फर्जी ड्यूटी/वेतन घोटाले जैसा घोटाला नौएडा प्राधिकरण में अज्ञात काल से जारी है। यहां चार हजार से अधिक संविदा कर्मी कार्यरत हैं। ये लोग कब कैसे भर्ती होते चले गए कोई नहीं जानता। कागज़ों पर ये ठेकेदार के लोग हैं जो जरूरत के मुताबिक प्राधिकरण को इनकी आपूर्ति करता है। परंतु इनमें से अधिकांश यानी ९९.९ प्रतिशत लोगों ने ठेकेदार को देखा तक नहीं है। इनमें बेलदार, चपरासी से लेकर जूनियर इंजीनियर तक शामिल हैं। संविदा जूनियर इंजीनियर को प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ संजीव शरण ने नापतोल पंजिका (एम बी) भरने की शक्ति भी प्रदान कर दी थी।इन सबको प्राधिकरण जानता है, ठेकेदार नहीं। फिर ठेकेदार को प्राधिकरण किस बात का भुगतान करता है? दरअसल प्राधिकरण इन कर्मियों को नियमित करने से बचने के लिए संविदा का हर्जाना वहन करता है।ये लोग संगठित हैं और अक्सर धरना प्रदर्शन के जरिए प्राधिकरण को अपनी शक्ति का अहसास कराते रहते हैं। इसी प्रकार इनमें से बहुत से लोग काम करने नहीं केवल वेतन लेने आते हैं। कुछ संविदा कर्मी स्वयं या अपने आका के बल पर और कुछ अपने तत्कालिक बोस से सेटिंग करके प्राधिकरण से वेतन हासिल करते हैं। यह घोटाला अज्ञात काल से चला आ रहा है।माना जाता है कि इनमें से एक बड़ी संख्या में संविदा कर्मी वास्तव में हैं ही नहीं। फर्जी नाम और फर्जी ड्यूटी के आधार पर दशकों से जेई से लेकर उच्च अधिकारी तक लाखों रुपए महीने का वेतन प्राधिकरण से गबन कर रहे हैं। क्या होमगार्ड घोटाला अब भी इससे बड़ा घोटाला है? नहीं समझे तो फिर से पढ़ लीजिए।


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