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हे भगवान किस मिट्टी से बनाया है इस फकीर को ?

फ्यूचर लाइन टाईम्स 



पूरे देश की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तरफ और यह बन्दा केसरिया पगडी बांधे जमीन पर बैठकर लंगर छक रहा था हालाकि लोगो ने एक ऊचा स्टूल भी दिया कि आप इसपर बैठ कर लंगर छके पर नही सबके साथ जमीन पर बैठ कर ही भोजन
जानते हो क्यों पहला तो यह कारण सिख समाज की इस परमपरा को कायम रखना उसका सम्मान करना
दूसरा यह भारत की धरती को अपनी माॅ मानते है और माँ की गोद मे बैठकर भोजन का आनन्द ही कुछ और है 
क्या हमसे कम खुशी इस मस्त फकीर  को थी ??
हमसे लाखो गुना खुशी इसे थी और इस केस का ताना बाना ऐसे बुना गया था कि सुप्रीम कोर्ट के पास और  आगे टाल मटोल  करने की गुंजाइश नही बची थी
CJI रंजन गोगो ई सर को 17नवम्बर को सेवा निवृत होना था और यह नियम है जो बेन्च सुनवाई करे वही फैसला दे यदि यह बेन्च फैसला नही सुनाती तो फिर नई बेन्च को नये सिरे से सुनवाई करनी पडती और उसके लिए समय की कोई बाइंडिंग भी नही रहती इसका मतलब यह मामला फिर सालो के लिए लटक जाता
इसलिए बेन्च को मजबूरन चालीस दिन का समय रखना पडा और सुनवाई प्रतिदिन करनी पडी क्योकि दोनो पक्षों की दलील को पूरा सुनना भी जरूरी था यह तो न्यायायिक प्रक्रिया का पार्ट था
जो काम हमलोगों को अत्यन्त दुरूह असम्भव लगता है उसे मोदी जी इतने हल्के मे लेते है बल्कि लेते नही ऐसा दिखाते है जैसे इनको तो कोई इंट्रेस्ट ही नही लेकिन इनकी प्लानिंग इतनी जबरदस्त होती है कि फेल होने की कोई गुंजाइश ही नही बचती इसका मतलब इस दूरदर्शिता से उसे टेकअप करते है कि उसमे फेल्योर की कोई गुंजाइश ही न रहे
क्या आपको लग रहा है समान नागरिक कानून और जनसंख्या नियंत्रण इनकी वरीयता मे नही है
उसपर भी काम चल रहा है और एक दिन उसे भी धमाका के रूप मे देखोगे।
ईश्वर जाने इस आदमी की खोपड़ी मे कौन सा और कैसा दिमाग भरा है
तभी तो मै कहता लता दीदी के गले का और मोदीजी के दिमाग का विश्व स्तर पर रिसर्च होना चाहिए ।
मुझे तो लग रहा है 2024 मे कोई भी मुद्दा शेष ही नही बचेगा जो दिखाकर इलेक्शन मे उतरा जाय
हमे भगवान श्रीराम का धन्यवाद करना होगा जिसने ऐसा प्रधान सेवक हमे दिया है
हमे श्रीराम मन्दिर का पहला श्रेय सन्यासी मोदी को
दूसरा श्रेय वकालत के पितामह भीष्म श्रीराम भक्त  केशव पराशरण सर जी को
और तीसरा योगी आदित्यनाथ को जिसने मात्र दो साल मे 70 हजार फाइलों का इंगलिस मे ट्राॅसलेट कराकर कोर्ट के सामने रख दिया जो अरबी उर्दू फारसी संस्कृत पाली आदि भाषाओ मे थी और sc के पास यही बहाना था कि जज इतनी भाषाओ के जानकार नही है
बाकी श्रेय रंजन गोगो ई सर और और सभी लोगो का तो है ही
अतः हम इस महान संयासी फकीर मोदी की लम्बी उम्र और स्वस्थ जीवन की कामना के साथ कलम को विराम देते है।


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