फ्यूचर लाइन टाईम्स
रहिमन कठिन चितान ते चिंता को चित चेत
चिता दहति निर्जीव को चिंता जीव समेत ।
अर्थ :
चिंता चिता से अधिक खराब है।चिंता करने से ब्यक्ति को बचना चाहिये।चिता तो मरे ब्यक्ति को जलाती है पर चिंता जीवित ब्यक्ति को भी मार डालती है।
दोनों रहिमन एक से जौं लों बोलत नाहि
जान परत हैं काक पिक ऋतु बसंत के माॅहि।
अर्थ :
कौआ और कोयल दोनों काले एक जैसे देखने में होते है ।जब तक वे बोलते नही हैं-पता करना कठिन है। लेकिन बसंत ऋतु में कोयल की कूक और कौआ का काॅव काॅव करने पर उनका भेद खुल जाता है। बाहरी रूप रंग से ब्यक्ति की पहचान कठिन है पर भीतरी आवाज से सबों का असलियत पता चल जाता है।
रहिमन चुप ह्वै बैठिये देखि दिनन को फेर
जब नीकै दिन आइहैं बनत न लगिहैं बेर ।
अर्थ :
संकट के समय धीरज से चुप रह कर बुरे समय का फेर समझ कर जीना चाहिये।
अच्छा समय आने पर झटपट सब ठीक हो जाता है और सब काम सफल हो जाता है। अतः धीरज से समय बदलने का इंतजार करना चाहिये ।
रहिमन पानी राखिये बिनु पानी सब सून
पानी गये ना उबरै मोती मानुश चून ।
अर्थ :
अपनी इज्जत बचा कर रखें। बिना इज्जत के जीवन ब्यर्थ है।पानी की कमी से मोती
की चमक और चूना का रंग फीका हो जाता है।
रहिमन विपदा हू भली जो थोडे दिन होय
अर्थ : हित अनहित या जगत में जानि परत सब कोय ।
अल्प समय की विपत्ति ठीक है।इससे अपना पराया लाभ हानि दोस्त दुश्मन की पहचान हो जाती है। इसे परीक्षा की घड़ी समझना चाहिये।
कमला थिर न रहीम कहि यह जानत सब कोय
पुरूश पुरातन की वधू कयों न चंचला होय ।
अर्थ :
रहीम कहते हैं कि लक्ष्मी कहीं स्थिर नहीं रहती-यह सब कोई जानते हैं।लक्ष्मी आदि
पुराण पुरूश विश्नु की वधु है।इसी से वह चंचला है।फिरभी लोग लक्ष्मी के मोह में परे
रहै
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