फ्यूचर लाइन टाईम्स
भजपा ने मूर्खता की है, शिवसेना ने धूर्तता की है। भाजपा के रणनीतिज्ञ राजनीति पढते नहीं हैं, चाणक्य को पढते नहीं, खुद ही चाणक्य बनना चाहते हैं, जिसका परिणाम महाराष्ट्र में दिखा।महान् चाणक्य तो नंदवंश के विनाश के पश्चात् चंद्रगुप्त के राज्य को ठीक से चलाने के लिए परपक्ष के ही अमात्य राक्षस को सेनापति बनाकर अपने साथ मिला लेते हैं, यहाँ भाजपा के चाणक्य अपने मित्र उद्धव को भी मुख्यमंत्री बनाने से बचते हैं। भजपा थोडा बहुत झुकती तो आज ये हालात नहीं होते। मुफ्ती को मुख्यमंत्री? उद्धव को अंगूठा? ये विचारणीय है। भाई भाई की लड़ाई में महाभारत हुआ भूल गये क्या? मित्र को मित्र समझो।
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