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और पराली जला बैठा किसान !


फ्यूचर लाइन टाईम्स 
सुप्रीम कोर्ट, एनजीटी और सरकार के सख्त फरमानों के बावजूद किसान पराली जला रहे हैं। ऐसा करने पर उनके खिलाफ रपटें लिखी जा रही हैं, उन्हें गिरफ्तार कर जेलों में डाला जा रहा है। दरोगा जी शहर के अपराध को उसके हाल पर छोड़कर खेतों पर निकल गये हैं। उन्हें पराली जलाने का अपराध करने वाले किसानों की तलाश है। किसान पराली जलाकर फरारी काट रहे हैं।पराली रहित धान की फसल की खोज की जा रही है। कृषि विज्ञानी आलू की तर्ज पर धरती के भीतर उगने वाले धान का बीज तैयार करने का आविष्कार करने में जुटे हैं।पराली राष्ट्रीय समस्या बन चुकी है। सुप्रीम कोर्ट तथ्यों के आधार पर ऑड-इवन को खारिज कर रहा है। ले-देकर पराली के सिर पर प्रदूषण का ठीकरा फोड़ा जा रहा है।पराली किसान के जी का जंजाल बन गई है। किसान इसे रखे तो कहां और मुक्ति पाये तो कैसे। सरकार  सभी समस्याओं का समाधान डंडे में तलाश लेती है। डंडा गरीब-असहाय की कमर तलाश लेता है। किसान से ज्यादा गरीब और असहाय कौन है और तब जब पराली का भारी बोझ उसके सिर पर रखा हो।जानकार कहते हैं कि पराली का तेल निकाला जा सकता है। इससे जैविक ईंधन का उत्पादन किया जा सकता है। हालांकि ये सब मगज मशक्कत नवंबर दिसंबर की हैं। तत्पश्चात न पराली रहेगी,न प्रदूषण होगा और न प्रदूषण की चिंता। अगले साल इन्हीं दिनों फिर मिलेंगे पराली, प्रदूषण और पशुओं जैसी मानसिकता के साथ।तब तक पराली पुराण को विश्राम दे देते हैं।


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