फ्यूचर लाइन टाईम्स
अमर हो जाने का अर्थ आयु का बढ़ जाना नहीं है अपितु कीर्ति का चारों तरफ फैल जाना है। आदमी मर कर भी अमर हो सकता है और जीते जी भी मर सकता है।
जो जीवन समाज के लिए अनुपयोगी बन जाता है उसका जीवन उस जड़ वृक्ष से भी तुच्छ है जो फल ना दे कम से कम छाया तो प्रदान करता है। फूल की आयु ज्यादा लम्बी नहीं होती। वह कुछ समय के लिए खिलता है और अपना सौन्दर्य बिखेरकर चला जाता है।
जितना समय आप परमार्थ में जीते हैं उतनी आयु आपकी स्वतः अमर हो जाती है और दूसरों के लिए किया गया वो कर्म भी लोगों के दिल में रहता है। जितना जीओ मैं और मेरे से ऊपर उठकर जिओ। यही अमरता है।
0 टिप्पणियाँ