फ्यूचर लाइन टाईम्स
सनादेव तव रायो गभस्तौ न क्षीयन्ते नोप दस्यन्ति दस्म।
द्युमाँ असि क्रतुमाँ इन्द्र धीरः शिक्षा शचीवस्तव नः शचीभिः॥ ऋग्वेद १-६२-१२।।
हे सर्व व्यापक, ज्ञान के दाता, दुखियों के दुख हरने वाले परमेश्वर! तुम्हारे पास जो सच्चा धन है, वह कभी भी क्षीण नहीं होता, वह हमेशा से है और हमेशा रहेगा। इस धन को आप अपने कर्मशील आराधकों को देते रहते हो। आप कि हम आराधना करते हैं, हमें भी यह ज्ञान का धन प्रदान करें। हमें भी जागृत करें।
O omnipotent, eliminator of sufferings of people, supreme lord of light and knowledge, the spritual riches which You have, it never diminishes, it is always with You and will remain so. You always keep giving it to Your devotees doing noble deeds. We are Your devotees, enlighten us also with Your divine knowledge. (Rig Veda 1-62-12)
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